Kavita Jha

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पंचामृत सी पंचकन्या #लेखनी नॉन स्टॉप कहानी प्रतियोगिता-09-May-2022

                   अध्याय -10 नीलिमा की तपस्या
नीलिमा अपनी यादो में डूबी उस दिन को याद करती है जब आनंद रोता बिलखता उसके पास आया और अपने और अपने परिवार के किऐ अपराधों की माफी माँग रहा था उसके पैरों पर गिर कर।
" मैं तो अपने कामों में इतना व्यस्त था कि तुम्हारे और बच्चों की जिम्मेदारी ना उठा सका। हर महीने पैसे और पत्र भेज, माँ से तुम्हारे और  बच्चियों के बारे में पूछता तो वो कहती सब ठीक है चिंता करने की जरूर नहीं है बड़ा भाई और  भाभी भी है ना सब ठीक है। मुझे पता ही ना चला तुमने इतने कष्ट झेले। वो तो माँ के देहान्त की खबर पहुँचते ही आ गया। अभी पता चला, मेरे जाते ही तुमने वो घर छोड़ दिया और बच्चियों को लेकर यहाँ आदित्य नाथ के घर आ गई। "
आनन्द को इस तरह भाव विहोर देख मैं भी अपने पुराने कष्ट वाले दिन भूल गई। पर आनंद की माँ की मौत एक रहस्य जिसमें साजिश की बू आ रही थी। आनंद के भाई भाभी ने उस मकान पर कब्जा कर लिया।
आनंद की नौकरी भी भाई की साजिश के कारण चली गई। मैं सब भूल कर उनके साथ आ गई। कुछ साल किराऐ के मकान में रहे फिर कुछ ही सालों की मेहनत में हमने अपना नया घर बना लिया।
एक बार फिर से मैं माँ बनने वाली थी, पर अब बेटी हो या बेटा इससे ना मुझे कोई फर्क पड़ता और ना आनंद को।
पंचम के जन्म के बाद बहुत अच्छा चल रहा था जीवन में, फुफाजी की भविष्यवाणी सच सी होती दिख रही थी। जीवन जैसे पटरी पर आ गया था। पर मेरी वो खुशियाँ अपने पति का साथ ज्यादा दिन ना रहा। सताईस साल की भी तो ना थी उस समय जब आनंद का एक्सीडेंट हुआ। तीन साल बिस्तर पर रहे शरीर पैरालाइज हो गया था। पाँचों  बच्चियों और पति की सेवा, बहुत ही कठिन दिन थे वो भी, पर वो साथ थे इस बात का संतोष था। तीन साल बाद वो अपने जीवन से हार गए...  और मेरा सुहाग चल बसा..  पहाड़ जैसा मेरा जीवन और इन पाँचों बच्चियों को अकेले पालना किसी तपस्या से कम ना था।
फिर से समाज के उन दरिन्दों से खुद बचना और  बच्चियों को बचाऐ रखना सबसे कठिन था। पर अब शिक्षा और आत्मविश्वास था मेरे साथ। बच्चियां बड़ी हो रही थी और दिन पर दिन  सुंदर होती जा रही थी। उन्हें आत्मरक्षा के लिए जूडो कराँटे सीखने पर जोर दिया ना कि नृत्य और संगीत। याद है निशा और  रिशा तो डाँस क्लास के लिए हठ करती। कंचन और शिखा संगीत सीखना चाहती। पंचम तो बस किताबों में डूबी रहती।
पाँचों पढ़ने में  बहुत तेज थी और  हमेशा स्कूल काॅलेज में अव्वल आती रही। मैं दिन रात एक कर जीवन यापन के लिए पैसों का इंतजाम करती।
स्कूल में आया की नौकरी करती और घर आकर कपड़े सिलने का काम। कई लोग मेरी सुंदरता से मोहित हो पैसे से मेरी मदद करना चाहते पर मैंने कभी उनसे कोई मदद ना ली।

क्रमशः

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कविता झा'काव्या कवि'

# लेखनी

## लेखनी नॉन स्टॉप 2022 प्रतियोगिता 

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4 Comments

Pallavi

29-Jun-2022 06:34 PM

Nice episode

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Shnaya

29-Jun-2022 03:58 PM

शानदार भाग

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Gunjan Kamal

29-Jun-2022 02:19 PM

शानदार भाग

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